अब, जबकि..!
सोचा, आज उस पर एक कविता लिखूंगा, पर.....कैसे..?
जबकि,
मेरे दिमाग में केवल तुम हो,
कविता के लिए शब्द कैसे खोजूं ..?
जबकि, मेरे दिल में
सिर्फ तुम्हारा रंग छाया है
कविता को कोई और रंग कैसे दे दूं..?
जबकि मेरे तन-मन में
तुम्हारा ही संगीत समाया है
कविता को कोई और लय कैसे दे दूं..?
अब, जबकि, मैंने जीवन में
बस तुम्हारा ही प्यार बसाया है,
कविता को कोई और विषय कैसे दे दूं..?
#श्रीश पाठक प्रखर
चित्र साभार:गूगल
जबकि,
मेरे दिमाग में केवल तुम हो,
कविता के लिए शब्द कैसे खोजूं ..?
जबकि, मेरे दिल में
सिर्फ तुम्हारा रंग छाया है
कविता को कोई और रंग कैसे दे दूं..?
जबकि मेरे तन-मन में
तुम्हारा ही संगीत समाया है
कविता को कोई और लय कैसे दे दूं..?
अब, जबकि, मैंने जीवन में
बस तुम्हारा ही प्यार बसाया है,
कविता को कोई और विषय कैसे दे दूं..?
#श्रीश पाठक प्रखर
चित्र साभार:गूगल
टिप्पणियाँ
बस तुम्हारा ही प्यार बसाया है,
कविता को कोई और विषय कैसे दे दूं..?
sach! kaise koi aur vishay de den.....
bahut achchci lagi yeh kavita....
khoobsoorat lafzon ke saath ek sashakt rachna....
जबकि,
मेरे दिमाग में केवल तुम हो,
कविता के लिए शब्द कैसे खोजूं ..?
इस से अच्छा विषय भी शायद कोई नहीं हो सकता। प्यार अपने आप मे एक संपूर्णता है । बहुत सुन्दर कविता है बधाई और शुभकामनायें
बस तुम्हारा ही प्यार बसाया है,
कविता को कोई और विषय कैसे दे दूं..?
बहुत सुन्दर कविता है बधाई और शुभकामनायें !
बहुत सुन्दर लिखा है !
बहुत खूबसूरत कविता की रचना है ..........
जब साधन[कविता] और साध्य[काव्य-विषय यानि ''तुम''] एकमेक होने लगें |
यहाँ भावना सदैव भाषा से आगे चलती है |
अतः भावनाओं का शुक्रिया ...
बहुत खूब...!
और इस विषयही्नता की समृद्धि पर सारे बिषयों की सम्पदा निसार है..बधाई!!!
------------------
परा मनोविज्ञान-अलौकिक बातों का विज्ञान।
ओबामा जी, 70 डॉलर में लादेन से निपटिए।
प्यार की नदी सदा बहती रहती है . वह अपना रास्ता आप तलाश ही लेती है .
तुम्हारा ही संगीत समाया है
कविता को कोई और लय कैसे दे दूं..
बहुत सुन्दर कविता है
बधाई और शुभकामनायें