वातानुकूलित बौद्धिकों के सैद्धांतिक तर्क
....आज लगभग हर अखबार में आपको ऐसे वातानुकूलित बौद्धिकों की सैद्धांतिक तर्क-आयोजनों की भरमार मिल जायेगी, जो उन्होंने #AAP के ऐतिहासिक सफलता के पक्ष में रखे होंगे. ध्यान दीजिये, ये वही लोग है जो दो दिन पहले तक #AAP के अस्तित्व तक से परहेज करते थे. अख़बारों में, टीवी की बहसों में उन्हें कांग्रेस-भाजपा के आगे कुछ सूझता नहीं था. (इसमें टीवी एंकरों को तो जाने दीजिये- उन्हें तो रंग बदलते दिख जाने की मजबूरी से भी गुजरना ही पड़ता है). इनके आतंक से ही "आम आदमी" अपनी "खासियत" भूल जाता है. इसमें से कई नामी पत्रकार-संपादक लोग भी हैं, जिन्होंने मौसम को भांपते हुए यहाँ फेसबुक पे भी कुछ यों स्टेटस लिखा-"कम से कम मै तो कही रहा था",.....! ये वे लोग हैं, जिन्हें पहले हुई सभी क्रांतियाँ महान लगती हैं, और उसके अनगिन कारण भी वे गिनाते हैं. इन्हें सामने का कुछ नज़र नहीं आता. ये वे लोग हैं जिन्हें लोकतंत्र की मजबूतियों से ज्यादा उसकी कमजोरियों में अखंड विश्वास है. ये खाए-पीये-अघाए लोग जाने कितनी ही ऐसी क्रांतियों की ऐसे ही भ्रूण-ह्त्या कर देते हैं..दिनों-दिन अपने कुतर्कों से. क्...