हमारा जमाना ....आजकल के बच्चे









".....बूढे कामचोर काका का  

महीने में तीसरी बार टूटा चश्मा बनवाकर ..

बेराजगार मझला घर में घुसता हुआ 

काका का फ़िर वही प्रलाप सुना 

'......हमारा जमाना ....आजकल के बच्चे.....'..!"

#श्रीश पाठक प्रखर 

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